Monday, June 27, 2011

काकभुशुंड और वित्तमंत्री

काकभुशुंड और वित्तमंत्री

एक राज्य का नया वित्तमंत्री काकभुशुडं जी से मिलने गया और हाथ जोड़ कर बोला कि मुझे शीघ्र ही बजट प्रस्तुत करना है मुझे मार्गदर्शन दीजिए | तिस पर काकभुशुडं ने कहा सो निम्नलिखित है |

हे वित्तमन्त्री, जिस प्रकार केक्टस की शोभा कांटों से और राजनीति लंपटों से जानी जाती है उसी प्रकार वित्तमंत्री विचित्र करों तथा उलजलूल आर्थिक उपायों से जाने जाते है | पर पीड़ा वित्तमंत्री का परम सुख है | कटोरी पर कर घटा थाली पर बढ़ाना, बूढ़ों पर कर कम कर बच्चों पर बढ़ाना और श्मशान से टैक्स हटा दवाइयों पर बढ़ाने की चतुर नीति जो बरतते है वे ही सच्चे वित्तमंत्री कहलाते हैं | हे वित्तमंत्री, बजट का बुद्धि और ह्रदय से कोई संबंध नहीं होता | कमल हो या भौंरा, वेश्या अथवा ग्राहक, गृह अथवा वाहन तू किसी पर भी टैक्स लगा रीढ़ तो उसी की टूटेगी जिसकी टूटनी है | हर प्रकार का बजट है | वित्तमंत्री मध्यमवर्ग को पीस देने का श्रेष्ठ साधन है |यह तेरे लिये कुविचारों और अधर्म चिंतन का मौसम है | समस्त दुष्टात्माओं का ध्यान कर तू बजट की तैयारी में लग | सरकारी कार का पेट्रोल बढ़ाने क लिये तू हर गरीब की झोंपड़ी में जल रहे दीये का तेल कम कर | अपने भोजन की गरिमा बढ़ाने के लिये हर थाली से रोटी छीन | जिसके रक्त से तेरे गुलाबों की रक्तिमा बढ़ती है उस पर टैक्स लगाने में मत चूक |

करों की सीमा, जल, थल और आकाश है | तू चर-अचर पर कर लगा, जीवित और मृत पर, स्त्री-पुरूष पर, बालक-वृद्ध पर, ज्ञात-अज्ञात पर, माया और ब्रह्म के सम्पूर्ण क्षेत्र पर जहाँ तक दृष्टि, सत्ता अथवा भावना पहुँचती है, कर लगा | श्रम पर, दान पर, पूजा-अर्चना पर, मानविय स्नेह पर, मिलन पर, श्रृंगार पर, जल दूध जैसी आवश्कताओं पर, विध्या, नम्रता और सत्संग पर, कर्म, धर्म, भोग, आहार, निद्रा, मैथुन, आसक्ति, भक्ति, दीनता, शांति कांति, ज्ञान, जिज्ञासा, पर्यटन पर, औषधि, वायु, रस, गंध, स्पर्श आदि जो भी तेरे ध्यान में आएँ, शब्दकोश में जिनके लिए शब्द उपलब्ध हो, उस पर कर लगा | अच्छे वित्तमंत्री करारोपण के समय शब्दकोश के पन्ने निरंतर पलटते रहते हैं और जो भी शब्द उपयुक्त लगता है उसी पर कर लगा देते है | जूते से कफ़न तक, बालपोथी से विदेश यात्रा तक, अहसास से नतीजों तक तू किसी पर भी टैक्स लगा दे | तेरी घाघ दृष्टि जेबों है और हे वित्तमंत्री जेबें सर्वत्र हैं

हे वित्तमंत्री, ईमानदार मेहनती वर्ग पर अधिक कर लगा जिनसे वसूली में कठनाई नहीं होगी | जो सहन कर रहा है उसे अधिक कष्ट दे | अय्याश, होशियार और हरामखाऊ वर्ग पर कम कर लगा क्योंकि वसूली की संभावनाएँ क्षीण हैं | बदमाशों, सामाजिक अपराधियों और मुफ़्तखोरों पर बिल्कुल कर न लगा क्योंकि वे देगें ही नहीं | श्रेष्ठ वित्तमंत्रीयों के बजट में पीड़ितों को पीड़ित करने के लिये होते है |

हे वित्तमंत्री, बजट को यौवन के रहस्य की तरह छुपा के रख | किसी को पता न चले कि तू सोचता क्या है | बजट का खुलना भयानक संत्रास का क्षण हो | लोग तेरे वित्तमंत्री बनने पर पश्चाताप करे | जीवन से निराश हो जाएँ | यह सूझ न पड़े कि वर्ष कैसे बीतेगा | बजट एक हंटर है, मार उन लोगों को जिसने तुझे यह हंटर दिया | बजट एक कहर है, उसे बरपा कर दे | बजट एक अड़गा है जीवन की राह में | सच्चे वित्तमंत्री वे हैं जो बदनामी में मुस्कराते हैं | सच्चा टैक्स वही है जो सुखी का सुख न बढ़ाए पर दुःखी का दुःख अवश्य दूना कर दे |

बजट समाज के प्रति तेरी घृणा की अभिव्यक्ति का श्रेक्ष्ठ माध्यम है | उसे गर्व से प्रस्तुत कर | कष्ट में पहले से डूबे मनुष्य तेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते वित्तमंत्री | स्वपनों की इति ही बजट का अर्थ है यह बात ध्यान रख | इतना कह कर काकभुशुंड जी चुप हो गये और वित्तमंत्री अपना बजट बनाने चला गया |

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